ईश्वर और मनुष्य लघु कथा अनुशीर्षक में एक समय की बात है एक बहुत ही गरीब परिवार एक गांव में रहता था। रोज़ जंगल से लकड़ियाँ काट शहर जाकर बेचते थे। उसी से उनका जीवनयापन हो रहा था। घर का मुखिया जो बहुत नेक दिल इंसान था नित्य ईश्वर की पूजा करता था लेकिन कभी उसने ईश्वर से कुछ नहीं मांगाता और मन में ही कहता हे प्रभु! कब मेरे दुःख के बदल हटेंगे। एक दिन वो जब लकड़ी काटने जंगल गया तो उससे रास्ते से गुजरते एक साधु ऋषि मिला उसने बोला की तुम रोज़ लकड़ी काटते हो इससे तुम्हारा गुजारा कैसे चलता है, उसने का मुनिवर क्या करूं गुजारा तो नहीं पाता लेकिन जीवन जीने के इतना बहुत है। इस जवाब से साधु ऋषि बहुत प्रसन्न हुए बोले कि तुम ईश्वर की पूजा करते हो लेकिन कभी तुमने कुछ नहीं मांगा लेकिन तुम्हारे इस कर्तव्य से। बहुत प्रसन्न हुआ और वो बोले कि जो तुम्हारे झोपड़ी के पास में आम का पेड़ है उससे रोज़ एक फल तोड़ना उसमें तुम्हें रोज़ एक सोने का सिक्का मिलेगा उससे जीवन सुखी हो जायेगा। मुखिया खुश होकर उनके पैरों गिर आशीर्वाद मांगने लगा, उसके बाद उन्होंने हाथ से उठा उसे आशीर्वाद देने के बाद वो साधु ऋषि जंगल में अंतर्धान हो गए। घर आकर जब उसने आम एक पेड़ से फल तोड़ा उसको काटा तो 1 सोने का सिक्का मिला अब जाकर यकीन हुआ कि ईश्वर ने ही आकर उसकी मदद की है। #विशेषप्रतियोगिता #कोराकाग़ज़ #kkpc23 #collabwithकोराकाग़ज़ #similethougths