#OpenPoetry *परोपकार* करना सीखो पेड़ो से परोपकार ज़िन्दगी भर करते सब पर उपकार बीज दबा ज़मीन से बाहर आता एक नन्हा छोटा पौधा है मुस्काता धूप और बारिश की मार सहकर धीरे-धीरे वो है बढ़ता जाता बड़ा होकर वो सबको देता छाया साथ किसी के न भेदभाव भाया देकर फल सबकी भूख मिटाता कभी न अपने फल खुद खाता सुख हो या दुःख हरपल साथ निभाता तुम्हारी जरुरत को खुद कट जाता सूखा जो पेड़ लकड़ी बन जाता पालने से लेकर अर्थी तक बनाता जो पेड़ न हो धरा पर तो दोस्तों! सारा जीवन ही नष्ट हो जाता ज़िंदा रहकर प्राणवायु को बहाता सबको रखकर खुश, खुद मर जाता जन्म से मृत्यु तक इंसान के काम आता। #OpenPoetry #propkaar