"राजधर्म के खल निराले" आजादी है नाम का रोना, और नहीं कुछ काम है होना। जिम्मेदारी दिया था जिसको, बेच रहा सब समझ खिलौना। लोकतंत्र में लोक का रोना, प्रतिभा का विक्षोभ है होना। नहीं सुरक्षित आज सभी जन, कल हुआ मिथ्या सपन सलोना। डामाडोल हुआ सब रोना, विष्मय में मन अब क्या होना। युवक गण का तोड़ मनोबल, दीमक है खा जाए घरौंना। किस पथ........ #samvedita #angerInMe #baseksoch✍️ #samvedita💌