इंसान की जीवन यात्रा और सच बचपन में सबसे खुल कर सच बोलता है "पाप कह रहे हैं कि वो घर पर नहीं हैं" अगले पड़ाव में पता चलता है - मां -बाप के अलावा किसी से भी सच नही बोलना है अगले पड़ाव में पता चलता है - दोस्तों के अलावा किसी से भी सच नहीं बोलना है अगले पड़ाव में पता चलता है - किसी से भी सच नहीं बोलना है अगले पड़ाव में पता चलता है - बीवी और कुछ दोस्तों के अलावा किसी से भी सच नहीं बोलना है अगले पड़ाव में पता चलता है - सबसे सच बोला जा सकता है अंत में जाते जाते पता चला चलता है- खुल कर सबसे सच बोलना है OUR END IS OUR BEGINNING ©pankaj mishra #इंसानी फितरत