मुझे चलने का हौंसला दे गया वो छोड़ गया पर भरोसा दे गया.. मन में जुगनू उड़े रातरानी महकी इक ख्वाब सलोना खामखां दे गया.. सिफर से उठे और संग मीलों चले आखिर में खुदा दगा दे गया.. मरहम-ए-वस्ल की आड़ में जालिम जख्म फिर से मुझे नया दे गया.. नम पलकों में काई लगती रही निगाहों को मंजर हरा दे गया.. बिछड़कर भी मिलता-जुलता रहा वो यादों का हसीं कारवां दे गया.. -KaushalAlmora #खामखां #love #yqdidi #poetry #yqbaba #yqquotes #कारवां PC :HD wallpaper app