मिट्टी ऐ मेरी ज़मीं अफसोस नहीं, जो तेरे लिये सौ दर्द सहे...... महफूज़ रहे तेरी आन सदा, चाहे जान मेरी ये रहे ना रहे..... ऐ मेरी ज़मीं मेहबूब मेरी, मेरी नस नस में तेरा इश्क़ बहे.... फीक़ा ना पड़े कभी रँग तेरा, जिस्मों से निकल के खून कहे..... #Aye_Meri_Zameen