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जब मैं जागता है, तब तूँ सोता है, रब रे ! समता कब त

जब मैं जागता है, तब तूँ सोता है,
रब रे ! समता कब तूँ संजोता है ?
कि ठहराव रमता तृण पाये कैसे...
अजब अधमता कह जग रोता है !!:)

©RAVINANDAN Tiwari
  #WoRaat 
#हल्के_कलम