इस बार नहीं तो क्या,उस बार तो उम्दा था, जिसमें छप चुका हूँ मैं,वो अख़बार तो उम्दा था..!! वीरान जिसको बोलकर,छोड़ चुके हो तुम, कभी इस दिल में रह लेते,ये दरबार तो उम्दा था..!! कभी तारीफ में तेरी,थी जो ग़ज़ल लिखी हमने, उसका बहर नहीं तो क्या,किरदार तो उम्दा था..!! क्या हुआ जो काफ़िया कुछ मेल नहीं खाया, उतर के देखते उसमें,अशआर तो उम्दा था..!! असर कुछ यूँ हुआ कि आज भी संभल नहीं पाया, तेरी तीखी बातों का वो,हर वार तो उम्दा था..!! सुनो अब जा रहे हो तो,कभी न लौट के आना, जो तुम नहीं थे तब भी,ये शहरयार तो उम्दा था..!! हर कोशिश नाकाम है इन टुकड़ों को सजाने की, "मतवाला" जिससे दिल तोड़ा,वो हथियार तो उम्दा था..!! #udquotes #yqbaba #yqdidi #yqdada #yqhindi #yqbhaijan #उम्दा