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कभी सोचता हूँ कि मैं कौन हूँ? क्या है मेरी पहचान,

कभी सोचता हूँ कि मैं कौन हूँ? 
क्या है मेरी पहचान, क्या है मेरा वजूद

क्यूँ किसी इक ख़ास लड़की से मुझे बेइन्तेहा मुहब्बत है? 
क्यूँ दूसरी लड़कियों को मैं हवस भरी निगाहों से देखता हूँ? 
क्यूँ मैं खुद तो कुछ भी नहीं बोलता ज़ुल्म के खिलाफ़? 
क्यूँ मैं दूसरों की ख़ामोशी पर सवाल करता रहता हूँ?

Please read in caption
ईजाज़ अहमद "पागल"  मेरी नयी रचना,

कभी सोचता हूँ कि मैं कौन हूँ? 
क्या है मेरी पहचान, क्या है मेरा वजूद

क्यूँ किसी इक ख़ास लड़की से मुझे बेइन्तेहा मुहब्बत है? 
क्यूँ दूसरी लड़कियों को मैं हवस भरी निगाहों से देखता हूँ?
कभी सोचता हूँ कि मैं कौन हूँ? 
क्या है मेरी पहचान, क्या है मेरा वजूद

क्यूँ किसी इक ख़ास लड़की से मुझे बेइन्तेहा मुहब्बत है? 
क्यूँ दूसरी लड़कियों को मैं हवस भरी निगाहों से देखता हूँ? 
क्यूँ मैं खुद तो कुछ भी नहीं बोलता ज़ुल्म के खिलाफ़? 
क्यूँ मैं दूसरों की ख़ामोशी पर सवाल करता रहता हूँ?

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ईजाज़ अहमद "पागल"  मेरी नयी रचना,

कभी सोचता हूँ कि मैं कौन हूँ? 
क्या है मेरी पहचान, क्या है मेरा वजूद

क्यूँ किसी इक ख़ास लड़की से मुझे बेइन्तेहा मुहब्बत है? 
क्यूँ दूसरी लड़कियों को मैं हवस भरी निगाहों से देखता हूँ?
ejazahmad6569

Ejaz Ahmad

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