गुजरता वक्त तू मेरे, बस गुजरता चला जा ऐ वक्त गर तू मेरे संग ठहरता हैं, तो ठहरता चला जा गर मैं कहीं खो गया तो मेरे मालिक को तू मेरा पता बताता चला जा और उसे कहना की तू ढूंढता हुआ, बस ढूंढता चला जा मिलूंगा यहीं कहीं तेरे आस पास, आँसूओं की तरह गिरा पड़ा हुआ फ़िक्र हो गर मेरी, तो थाम कर मेरा हाथ, तू बस थामता चला जा और फिर तू खुद को संभालता हुआ, तू मुझे भी संभालता चला जा कुछ कीमत अपनी ख़ामोशी की तू बाज़ार में लगाता चला जा जरा करीब आ के, अपने होठों से मेरे होठों की सिलवटे तू पढ़ता चला जा बीमार हूँ आजकल मैं कई दिनों से, जरा एक हकीम तू बुलाता चला जा मेरे इश्क़ के पुराने घाव में जरा मरहम तू लगाता चला जा और बेवजह यूँही आ जाया कर तू शायरों के भी घर कभी झूठा ही सही, एक बार मुझे अपने गले तू लगाता चला जा प्रेम_निराला_ #New_Poetry_ #गुजरता_वक्त_