" ये जो शहर में हर वक़्त का एक शोर है, बोल रहा हर कोई, जैसे सबके मन में चोर है, ना मैं लायक किसी के,ना मुझे चाहत किसी की, दिल जिंदगी से ,चाहता कुछ और है, मैं तुम्हें सलाम कर के ही निकलूंगा, जानता हूं तुम्हारी बाजुओं में ज़ोर है, फिर कई बस्तियां,पानी में डूब जाएंगी, आसमां में घटा,बहुत घनघोर है, सजा उसकी कम भी नहीं हो सकती, सच बोलने की सजा बहुत कठोर है, समझाना,पर हाथ ना उठाना उसपर, जानते हो तुम, उम्र में वो किशोर है, बड़प्पन दिखाना,माफ कर देना उसे, मान लेना कि तहज़ीब फरोशी में वो कमजोर है " - Author Vivek Sharma #yqaba #yqdidi #yqtales #yqquotes #yqdiary #yqhindi #yqlove #yqthoughts