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भोर का पंछी कोलाहल करते गुजरता है हमारे छतों के ऊप

भोर का पंछी कोलाहल करते गुजरता है
हमारे छतों के ऊपर से
हमसबों से कहता है
उठो चलो ,तुम भी
निवाले की खोज में
उठो उठकर काम करो 
भोर का पंछी
उड़ता है एक झुंड में
संदेश देता है इंसानों को
एकता से मिलजुल रहा करो
जीवन का संदेश देता 
सुबह सुबह नमस्ते करता जैसे
दिन खुशनुमा कर जाता है
भोर का पंछी #Panchi #भोर का पंछी #मेरी कविता #happyujjwal
भोर का पंछी कोलाहल करते गुजरता है
हमारे छतों के ऊपर से
हमसबों से कहता है
उठो चलो ,तुम भी
निवाले की खोज में
उठो उठकर काम करो 
भोर का पंछी
उड़ता है एक झुंड में
संदेश देता है इंसानों को
एकता से मिलजुल रहा करो
जीवन का संदेश देता 
सुबह सुबह नमस्ते करता जैसे
दिन खुशनुमा कर जाता है
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