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आख़िरकार रिश्तों की कड़वाहट भी मिट जाती है, प्यार के

आख़िरकार रिश्तों की कड़वाहट भी मिट जाती है,
प्यार के मीठे दो बोल की मिश्री जब घुल जाती है,

ये वक़्त नही है यूँ बेवजह अपनों से  रूठ  जाने का,
एक बार जो रूठे तो कोई नही यहाँ फिर मनाने का,

कड़ी तपस्या  समान होता है अपनी के बीच रहना,
लग न जाये चोट कोई दिल के  सोच समझ कहना,

असली स्नेह भी तो अपनों के बीच मिल सकता है,
हो कोई परेशानी तो दिल खोल कर दिल कहता है,

मिलकर ज़रा अपनो का गम भी बाँट लिया कीजिए,
हो कोई शंका दिल मे तो अपनों से ही सांझा कीजिये। ♥️ Challenge-578 #collabwithकोराकाग़ज़ 

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) 

♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। 

♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
आख़िरकार रिश्तों की कड़वाहट भी मिट जाती है,
प्यार के मीठे दो बोल की मिश्री जब घुल जाती है,

ये वक़्त नही है यूँ बेवजह अपनों से  रूठ  जाने का,
एक बार जो रूठे तो कोई नही यहाँ फिर मनाने का,

कड़ी तपस्या  समान होता है अपनी के बीच रहना,
लग न जाये चोट कोई दिल के  सोच समझ कहना,

असली स्नेह भी तो अपनों के बीच मिल सकता है,
हो कोई परेशानी तो दिल खोल कर दिल कहता है,

मिलकर ज़रा अपनो का गम भी बाँट लिया कीजिए,
हो कोई शंका दिल मे तो अपनों से ही सांझा कीजिये। ♥️ Challenge-578 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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