वक्त वो कुछ और था, जब तन्हाइयों का दौर ना था.... दिल रहता था बेफ़िक्र, ग़मों का उसे इल्म भी ना था मन में सजाते थे हम ख्वाब, हक़ीक़त का हमें पता ना था.... खुशियों से रहते थे हम सराबोर, दुखों का हमें आभास भी ना था वक्त ने ऐसी करवट ली, सब कुछ बदल गया सपने हो गए चूर चूर, बेरहम सच से आखिर सामना हुआ अब वक्त ये है कि, सपने देखने से भी डरता है दिल खुशियाँ हो गईं हैं कोसों दूर, मंज़िल का मिलना हो गया है मुश्किल वक्त वो कुछ और था, जब तन्हाइयों का दौर ना था.... दिल रहता था बेफ़िक्र, ग़मों का उसे इल्म भी ना था मन में सजाते थे हम ख्वाब, हक़ीक़त का हमें पता ना था.... खुशियों से रहते थे हम सराबोर,