हे ईस्वर , ज़िन्दगी अगर कठिन दी है, तो मौत को सरल कर देना । प्यासे के सामने पी लूँ जो पानी , तो उस पानी को गरल कर देना । बढ़ा जटिल न बनाना मुझे कभी , एक मुस्कान से ही हल कर देना । माटी का बनाया है घर मैंने जो , उसे मेरा ख़्वाब महल कर देना । तपती धूप में मुसाफ़िर के लिए सहरा की रेत को जल कर देना । जो भी मिले उसका दूना दूँ मैं औरो को , मुझमें ऐसा बाली सा बल कर देना । रजकण जो मिले माँ के पैरों के "राणा" पूजूँ उसे मैं यु ब्रह्मकमल कर देना । अर्जी हे #ईस्वर , #ज़िन्दगी अगर #कठिन दी है, तो #मौत को सरल कर देना । #प्यासे के सामने पी लूँ जो #पानी , तो उस पानी को #गरल कर देना ।