अज़ीब मज़ा मोहब्बत के दास्तां म हे, वफ़ा के तज़्किरा दुनिया की हर जुबान म हे, न वो भुइयां म कहूं अउ न अगाश म हे, चिराइयां तेकरे बर महफ़ूज़ उड़ान म हे, नशात-ए-साया मा'ज़ूर कर दिस ओला, वो कईसे धूप म निकले जेन साएबान म हे, देखव नसीब मालिक तो होगे घर ले बेघर, किराएदार अभी तक उहि मकान म हे, ख़ुलूस-ओ-मेहर-ओ-वफ़ा के नई हे कोई क़ीमत, वो माल बिकय नई जोन मोर दुकान म हे, जैनेश कुमार बता तो सही काबर अतीक बेख़बरी, दिमाग कोन मेर अउ दिल कोन से जहान म हे, #onesidedlove #pain #sad #musingtime #shayari #jainesh_kumar #chhattisgarh #chhattisgarhi