Poetry By: Sunil_Dhauni ◆Title: मैंने ज़िन्दगी को बदलते देखा है... मैंने ज़िन्दगी को बदलते देखा है, हर रिश्ते को रंग बदलते देखा है, हाँ मैंने वक्त को करवट बदलते देखा है... था गुमान जिन पर होंगे ना कभी जुदा, हाँ मैंने उस वहम को टूटते देखा है, ना कोई स्वार्थ था, ना कोई लालच था, ऐसे रिश्तों को भी बेमतलब होते देखा है... सुना है ज़िन्दगी की नींव हैं रिश्ते, मैंने नींव की ईंट को सरकते देखा है... अब तो भरोसा रहा नहीं खुद पर भी, मैंने खुद को खुद से जुदा होते देखा है....!! #poetry_by_sunil_dhauni