कल अखबार रख छोड़े थे, मेरी चौखट पर; कुछ फिर वापस बटोर लाया । सोचा यही बचा है, समेटने सहेजने को, याद तो रखना छोड़ ही दिया है ।। अगले दिन कुछ और गायब हुए, चाय पीते वक़्त मैंने नोटिस किया । लगता है कहीं कोई और भी इन्ही पुराने पृष्ठों में ढूंढ रहा था वक़्त के खोये पलों को ।। (क्रमशः) //उड़ान// कल अखबार रख छोड़े थे, मेरी चौखट पर; कुछ फिर वापस बटोर लाया । सोचा यही बचा है, समेटने सहेजने को, याद तो रखना छोड़ ही दिया है ।।