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न मैं शायर कोई न मैं लिखी कोई ग़ज़ल छुपा कर हर ज़ख

न मैं शायर कोई
न मैं लिखी कोई ग़ज़ल
छुपा कर हर ज़ख्म दिल का
न किसी पर की कोई फ़ज़ल(दया)
माज़ी(बीता कल) आज भी साया मेरा
शायद इसीलिए लफ़्ज़ों से मेरे
मैं रुखसत(अलग) न कर सका मेरा कल
मैं रुखसत(अलग) न कर सका मेरा कल

©jaan #माज़ी 

#horror
न मैं शायर कोई
न मैं लिखी कोई ग़ज़ल
छुपा कर हर ज़ख्म दिल का
न किसी पर की कोई फ़ज़ल(दया)
माज़ी(बीता कल) आज भी साया मेरा
शायद इसीलिए लफ़्ज़ों से मेरे
मैं रुखसत(अलग) न कर सका मेरा कल
मैं रुखसत(अलग) न कर सका मेरा कल

©jaan #माज़ी 

#horror
prateeksinghsiso4822

jaan

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