न मैं शायर कोई न मैं लिखी कोई ग़ज़ल छुपा कर हर ज़ख्म दिल का न किसी पर की कोई फ़ज़ल(दया) माज़ी(बीता कल) आज भी साया मेरा शायद इसीलिए लफ़्ज़ों से मेरे मैं रुखसत(अलग) न कर सका मेरा कल मैं रुखसत(अलग) न कर सका मेरा कल ©jaan #माज़ी #horror