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'देवभूमि है हमारी हरिद्वार बद्री विशाल, 'केदार ना

'देवभूमि है हमारी हरिद्वार बद्री विशाल, 
'केदार नाथ पितरों का साथ,,
'देवी देवताओं के धाम यहां पर
लोग यहां के गंगा से निर्मल,
'प्रेम भक्ति उपासना का पग पग में रंग 
भोले भाले लोग यहां के पैर छू के, 
'माथे को चूम के देते ढेरों आशीर्वाद 
टेढ़े मेढ़े रास्तों में दौड़ते यहां का बचपन,
'मेहनत बसती है यहां के जवाँ खून में, 
'रीति रिवाज लोकगीत भाव विभोर कर देते
सुनके पुराने गीत आंखों से आंसू छलका देते,
कष्ट खाए पहाड़ों में युवा परदेस गए,
वहां के पुरुष स्त्रियों ने मेहनत कर कर अपनी विपदा सुनाएं 
आज वह गीतों पर,स्वर बनकर हर होठों पर गुनगुनाए, 
उत्तराखंड का विकास रह गई वह आस,
अपनों को छोड़कर जाते युवा प्रदेश 
काम की तलाश में 
तड़पते अपने भूमि के लिए ,वहां की खुशबू के लिए,




 'देवभूमि है हमारी हरिद्वार बद्री विशाल, 
'केदार नाथ पितरों का साथ,,
'देवी देवताओं के धाम यहां पर
लोग यहां के गंगा से निर्मल,
'प्रेम भक्ति उपासना का पग पग में रंग 
भोले भाले लोग यहां के पैर छू के, 
'माथे को चूम के देते ढेरों आशीर्वाद 
टेढ़े मेढ़े रास्तों में दौड़ते यहां का बचपन,
'देवभूमि है हमारी हरिद्वार बद्री विशाल, 
'केदार नाथ पितरों का साथ,,
'देवी देवताओं के धाम यहां पर
लोग यहां के गंगा से निर्मल,
'प्रेम भक्ति उपासना का पग पग में रंग 
भोले भाले लोग यहां के पैर छू के, 
'माथे को चूम के देते ढेरों आशीर्वाद 
टेढ़े मेढ़े रास्तों में दौड़ते यहां का बचपन,
'मेहनत बसती है यहां के जवाँ खून में, 
'रीति रिवाज लोकगीत भाव विभोर कर देते
सुनके पुराने गीत आंखों से आंसू छलका देते,
कष्ट खाए पहाड़ों में युवा परदेस गए,
वहां के पुरुष स्त्रियों ने मेहनत कर कर अपनी विपदा सुनाएं 
आज वह गीतों पर,स्वर बनकर हर होठों पर गुनगुनाए, 
उत्तराखंड का विकास रह गई वह आस,
अपनों को छोड़कर जाते युवा प्रदेश 
काम की तलाश में 
तड़पते अपने भूमि के लिए ,वहां की खुशबू के लिए,




 'देवभूमि है हमारी हरिद्वार बद्री विशाल, 
'केदार नाथ पितरों का साथ,,
'देवी देवताओं के धाम यहां पर
लोग यहां के गंगा से निर्मल,
'प्रेम भक्ति उपासना का पग पग में रंग 
भोले भाले लोग यहां के पैर छू के, 
'माथे को चूम के देते ढेरों आशीर्वाद 
टेढ़े मेढ़े रास्तों में दौड़ते यहां का बचपन,
vandana6771

Vandana

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