बचपन और रूठना बचपन और रूठना..... बचपने के साथ रूठना भी कही गुम सा हो गया है,, जैसे हम बचपने से बड़े क्या हुए हम तो अपनो और अपने आशियाने से , भी दूर आ गए,, अब जब कोई पास ही नहीं है, तो रुठे किससे और मनाए कौन.. प्रज्ञा पांडेय... #bachpana#ruthna🙁🙁सब भूल से गए हम..