"अभिव्यक्ति-5" (ग़ज़ल) // ज़िन्दगी // ज़िन्दगी के इम्तिहान देते-देते , थक गयी हूँ मैं। जब भी चाहा सुकून ज़िन्दगी में, बिखर गयी हूँ मैं। यूँ तो साथी मिल जाया करते हैं, सभी को अक्सर, मुझे तो कोई ना मिला , जिधर गयी हूँ मैं । हाँ ! सुकून से तो बहुत हूँ मैं , तेरे जाने के बाद , तुम्हें क्या लगता है कि , क्या मर गयी हूँ मैं । बस हँस पड़ती हूँ मैं अक्सर , सुनकर बातें कुछ ख़ुद के खिलाफ भी, दरिया-ए-समझदारी में, इस हद तक उतर गयी हूँ मैं। चाहतें अपने लोगों के कुछ, यूँ पूरी करते-करते, आज अपनी साऱी ख्वाहिशों का क़त्ल कर गयी हूँ मैं। जब भी चाहा सुकून ज़िन्दगी में , बिखर गयी हूँ मैं। हाँ ! ज़िन्दगी के इम्तिहान देते-देते आज , बहोत थक गयी हूँ मैं ।🍁 #सुचितापाण्डेय🍁 #अभिव्यक्ति_5 #ज़िन्दगी_ग़ज़ल #pnphindi #pnpabhivyakti5 #yqbaba #pnp051020 #collabwithpnp ज़िन्दगी के इम्तिहान देते-देते , थक गयी हूँ मैं, जब भी चाहा सुकून ज़िन्दगी में, बिखर गयी हूँ मैं। यूँ तो साथी मिल जाया करते हैं, सभी को अक्सर, मुझे तो कोई ना मिला , जिधर गयी हूँ मैं ।