बन के अदीब जो महफ़िल में बैठा करते हैं पुरानी चाशनी में लफ़्ज फैंटा करते हैं जिनको समंदर का 'स' भी नहीं मालूम अपनी गहराईयों पे वो भी ऐंठा करते हैं preet lakhi #Hope #preet_lakhi #Nojoto #nojotohindi #Poetry #Hindi