तुम्हारे शहर को मुझसे मोहब्बत बहुत है, ये ओर बात है मुझे इसकी आदत नहीं है। जब देखें बरस पड़ता है बारिश की तरह, अब इसे और सावन की जरूरत नहीं है। तेरे दर्द की कीमत पर मुझे खुशी मिले, किसी ओर को हो तो हो मुझे आदत नहीं है। ये रख लेता है जकड़ के सबको अपने पास, और हम फ़कीरों को रुकने की आदत नहीं है। इस शहर के नक्शे पर है इमारतों का ढ़ेर, मैं मुसाफिर हूँ मुझे इन सब की आदत नहीं है। #yqshahar #yqmusafir #yqimarat #yqsaumitr #yqterashahar