आदि भी शिव, अंत भी शिव, शिव ही हैं अनंत अविनाशी, भवसागर से सब तर जाएं, शिव शंकर की महिमा है ऐसी। मेरे भोले हैं शिव शंकर, और हैं कालों के काल महाकाल, जो भी आता इनकी शरण में, उसका बांका ना होता बाल। शिव का नाम लेने भर से ही हो जाते मन के पूरे सारे काम, जीवन खुशियों से भर जाता है मिल जातें हैं यहीं चारों धाम। 🌟 शिवरात्रि प्रतियोगिता- 01 🌟 शीर्षक - मेरे भोले है ! 🌟 इस रचना में आपको सिर्फ़ 6 पंक्तियाँ लिखनी हैं, इससे कम या ज़्यादा पंक्तियों में लिखी हुई रचना प्रतियोगिता में मान्य नहीं होगी। 🌟"COLLAB" करने के बाद "COMMENTS" में "DONE" ज़रूर लिखें, जिससे आपकी रचना तक हम आसानी से पहुँच सके!