किस्सा भगत पूरणमल - रागनी 1 वृत्तांत : गुरु गोरखनाथ के साधुओं से पूरणमल की वार्ता तर्ज : मेरा घरा जाण नै जी कर रहया सै कौण कुएँ में करहावै सै, किसनै पकड़या डोल माणस सै के भूत भूतणी, कुछ तो मुख से बोल हम सन्यासी, रमते जोगी, गाम गाम में फिरते राह का जाणा, माँग के खाणा, ना ज्यादा लालच करते कभी यहाँ और कभी वहाँ, या सारी दुनिया गोल मैं एक बिचारा, दुःख का मारया, पड़या कुएँ में रोउँ सूँ रात और दिन, मुश्किल जीवन, दिन जिंदगी के खोउँ सूँ टोहूँ सूँ मैं उस ईश्वर नै, जो दे फंद बिफता के खोल ईश्वर भक्ति सच्ची शक्ति, ना और किसे तै डरते गुरु की प्यास बुझावण खातिर, डोल कुँएँ तै भरते लड़ते नहीं किसी बन्दे से यो, सच्चे गुरु का कौल आनन्दकुमार कहै मनै बचाल्यो, शाहपुर मेरा गाम बालअवस्था गुरु मिल्या ना, जिन्दगी पड़ी तमाम राम नाम का भजन करूँ, ये बाजै ढपड़े ढोल गीतकार : आनन्द कुमार आशोधिया ©Anand Kumar Ashodhiya #haryanviragni #पूरणमल