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समर्थ को भी इस सब से कोई मतलब नहीं लेकिन सिद्धार्थ

समर्थ को भी इस सब से कोई मतलब नहीं लेकिन सिद्धार्थ की खुशियों से जलते हुए लावण्या ने जिस तरह सिद्धार्थ की जान लेने की कोशिश की थी, उसके कारण ही समर्थ अपनी ही सगी मां से नफरत करने लगा और उससे जुड़े हर रिश्ते से दूरी बना लिया। जहां तक हो सके उसने उन लोगों को अवॉइड करने की कोशिश की थी।
 फिर भी इतना कुछ होने के बाद और दोनों परिवारों के रिश्ते टूटे नहीं थे आखिर इस सब में उनकी कोई गलती नहीं थी मिस्टर एंड मिसेज चौहान ने तो हमेशा से अपनी बेटी के खिलाफ जाकर सिद्धार्थ का साथ दिया था।
कहानी "सुन मेरे हमसफर"
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©दुःखीआत्मा
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