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जब भी लेटता हूँ, रात्रि की बेला में, जब खो जाता हू

जब भी लेटता हूँ,
रात्रि की बेला में,
जब खो जाता हूँ,
नींद की आगोश में,
कुछ याद न रखना चाहता,
बस मनाता हूं,
हर रोज़ की ,
मिल जाए आत्मा,
परात्मा से,
कौन फिर से उठ के,
वही रोज़ की मुश्किलों से लड़े,
ये आप सबका प्रेम ही,
जो देख लेता हूँ ,
रोज़ नए सुबह की बेला,
वरना मुक्त होना कौन नही चाहता.... #whatislife
जब भी लेटता हूँ,
रात्रि की बेला में,
जब खो जाता हूँ,
नींद की आगोश में,
कुछ याद न रखना चाहता,
बस मनाता हूं,
हर रोज़ की ,
मिल जाए आत्मा,
परात्मा से,
कौन फिर से उठ के,
वही रोज़ की मुश्किलों से लड़े,
ये आप सबका प्रेम ही,
जो देख लेता हूँ ,
रोज़ नए सुबह की बेला,
वरना मुक्त होना कौन नही चाहता.... #whatislife