जब भी लेटता हूँ, रात्रि की बेला में, जब खो जाता हूँ, नींद की आगोश में, कुछ याद न रखना चाहता, बस मनाता हूं, हर रोज़ की , मिल जाए आत्मा, परात्मा से, कौन फिर से उठ के, वही रोज़ की मुश्किलों से लड़े, ये आप सबका प्रेम ही, जो देख लेता हूँ , रोज़ नए सुबह की बेला, वरना मुक्त होना कौन नही चाहता.... #whatislife