किसी के हाथ में दुनिया की हर खुशी आई हमारे हाथ गमों की ही पोटली आई गुलाब हाथ लिए वो खिली- खिली आई, हसीन ख़्वाब लिए मेरे घर खुशी आई। कली खिली भी नही और वो गई मुरझा भरी बहार में कैसे खिज़ा चली आई नसीब में ही नहैं था जो राजसी जीवन तभी न हिस्से में दौलत की रौंशनी आई जलाए दिल मे उम्मीदों के सौ दीये हमने इधर न रौंशनी भूले से भी कभी आई बिखर के फूल की खुशबू इधर उधर फैली पयाम यार का लेकर हवा नही आई हजार ख़्वाब सजाने लगी हूँ आंखों में, सदी के बाद मेरे घर मे रौंशनी आई किसे रक़ीब कहें दोस्त मान लें किसको, के दोस्ती में वफाओं की कुछ कमी आई खुशी मिली भी तो चार पल रही संग में गमों को रास बहुत मेरी जिंदगी आई ग़ज़ल है नाम बहर में हसीन लगती है, रदीफ़ क़ाफ़िए से खूबसूरती आई #my shayri #nojoto hindi