कल भी साम गुजरी थी आज भी साम गुज़र जाएगी। फिर कल नया सवेरा होगा । आज जो उदासी है कल खुशी में बदल जाएगी । कल भी साम गुजरी थी आज भी साम गुजर जाएगी।। अब तो चुप चाप साम आती है पहले चिड़ियों के सोर होते थे कल भी साम गुजरी थी आज भी साम गुजर जाएगी। सुबह को तख्ती नशी,साम को मुजरिम ठहरे। हमनें पल भर में नसीबों को बदलते देखा है। कल भी साम गुजरी थी आज भी साम गुज़र जाएगी।।। कई सुबहें कई सामें बिना गुफ्तगू के गुज़र जाती हैं। खुदा खैर करे अभी तो रात बाकी है। कल भी साम गुजरी थी आज भी साम गुजर जाएगी।।।। #साम #सुबह #गुजरना #yqdidi #yqbaba #spark