#नेमप्लेट . कितनी देर से कॉलबेल बज रही थी. आरोही अंदर बाथरूम में थी. दौड़कर उसने दरवाज़ा खोला. पोस्टमैन खड़ा था बाहर. “आरोही शर्मा का घर यही है?” उसने पूछा. “जी हां, यही है. मैं ही आरोही हूं.” “अच्छा-अच्छा, नमन शर्मा का नेमप्लेट देखा था बाहर. आप उनकी मिसेज़ होंगी. अगली बार से भेजनेवाले को बोलना पते में नमनजी का नाम अवश्य लिखें. ढूंढ़ने में परेशानी होती है. अब सब उन्हीं को जानते हैं न.” आज फिर आरोही को काम करते-करते देर हो गई थी. कितना भी जल्दी करो, काम बारह बजे के पहले ख़त्म ही नहीं होता. अभी थोड़ी देर में अमन स्कूल से आ जाएगा. फिर उसे वक़्त मिल ही नहीं पाएगा, अपनी कहानी पूरी करने का. नमन और आरोही की शादी को पांच साल हो गए थे. उनका चार साल का एक बेटा था ‘अमन’. नमन एक मल्टीनेशनल कंपनी में अच्छे पद पर थे.