बिहान है।। दर्द की है रात सो लो, आगे खुशी का बिहान है। हर रात की सुबह हुई, ये तो विधि का विधान है। हर कदम पे है सवाल, आंखें है तरेरे लाल लाल, हर सफर ये ज़िन्दगी लिए एक नया इम्तिहान है। हर राह कंकड़ से भरे, हैं पांवों में छाले भी पड़े, रक्तवर्णीत पथ दिखाता, पग का तेरे निशान है। खोल मुठ्ठी दान कर, जो बढ़ रहा अवसान पर, आरम्भ का है अंत भी, यम का चलता विमान है। मुड़के पीछे देखता क्या, है कमर तू टेकता क्या, रफ्तार जीवन की बड़ी है, ये त्वरित गतिमान है। विरले हैं वो जो चल रहे, छू क्षितिज जो ढल रहे, आनेवाली हर सन्तति का तू ही तो अभिमान है। शब्दों की माला गढ़ रहा, आहूत सीढ़ी चढ़ रहा, नर ही तो इस जहान में, तम भेदता कृपाण है। ©रजनीश "स्वछंद" बिहान है।। दर्द की है रात सो लो, आगे खुशी का बिहान है। हर रात की सुबह हुई, ये तो विधि का विधान है। हर कदम पे है सवाल, आंखें है तरेरे लाल लाल, हर सफर ये ज़िन्दगी लिए एक नया इम्तिहान है।