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एक रात तेरी तस्वीर ली, सोचा कुछ तेरी यादें मिलेगी

एक रात तेरी तस्वीर ली, सोचा कुछ तेरी यादें मिलेगी
होंगी कुछ ऐसी बातें, सालों से पड़े कुछ जख़्म सिलेगी
हाय, कैसा है, मस्त है ना..??, पूछेगी मुझे..!
बाय, फिर मिलेंगे, हँसते-हँसते, याद है ना तुझे..??
खाना खाया, दवा ली, और बता तेरी तबियत कैसी है..
खाता-पीता कुछ है नहीं, सेहत वैसी की वैसी हैं..
नाराज़ है, यार बात कर ना तेरी फ़िक्र सताती है
ले मै हँस देती हूं, मेरी हँसी तेरा गुस्सा भगाती है..!
जब तेरे साथ थी ना, तो सिर्फ तेरा आभास था
और जब दूर हुई, तो तू खुद मेरा एहसास था
यार, हर रिश्ते में होती है थोड़ी बड़ी,पर छोटी अन-बन
बात बड़ी थी, पर इतनी भी नहीं क़ि भर गया तेरा मन
मेरी बेरुख़ी से, तेरे अंदर का बच्चा मर गया
मंजिल की कुछ दूरी से, जैसे एक राही डर गया
तू वो नहीं अब, जो हर समय मेरा दर्पण था
जो मेरे अक्स के लिए, सदैव अर्पण था
तू वो नहीं अब, जिसे मेरा इंतज़ार था 
जिसे सिर्फ और सिर्फ मुझी से प्यार था
तूने शिकायत के लिए, कलम का सहारा लिया
गीत, कहानी को ऐसे थामा क़ि, मुझसे किनारा किया
मैं दिल-दिमाग के बीच में उत्पन्न सरगोशी हूं
इस कड़वाहट की तुझसे ज्यादा मैं दोषी हूं
लज्जित हूं खुद पर, समझा तुझे वीणा का उपेक्षित स्वर
मेरी एक भूल ने बना दिया, मधुरिम गायन से सूखे अधर
मजबूर थी, तू ही बता, क्या इस जग का उपहास ले लूँ..?
या सब कुछ भूल कर, तुझे अपने पास ले लूँ..!
उपहास की भटकन से ओझल, तेरा पास आना मेरा प्यार है
लेकिन अम्मा बाबा है ना, उनका मुझ पर पहला अधिकार है एक रात तेरी तस्वीर ली, सोचा कुछ तेरी यादें मिलेगी
होंगी कुछ ऐसी बातें, सालों से पड़े कुछ जख़्म सिलेगी
हाय, कैसा है, मस्त है ना..??, पूछेगी मुझे..!
बाय, फिर मिलेंगे, हँसते-हँसते, याद है ना तुझे..??
खाना खाया, दवा ली, और बता तेरी तबियत कैसी है..
खाता-पीता कुछ है नहीं, सेहत वैसी की वैसी हैं..
नाराज़ है, यार बात कर ना तेरी फ़िक्र सताती है
ले मै हँस देती हूं, मेरी हँसी तेरा गुस्सा भगाती है..!
एक रात तेरी तस्वीर ली, सोचा कुछ तेरी यादें मिलेगी
होंगी कुछ ऐसी बातें, सालों से पड़े कुछ जख़्म सिलेगी
हाय, कैसा है, मस्त है ना..??, पूछेगी मुझे..!
बाय, फिर मिलेंगे, हँसते-हँसते, याद है ना तुझे..??
खाना खाया, दवा ली, और बता तेरी तबियत कैसी है..
खाता-पीता कुछ है नहीं, सेहत वैसी की वैसी हैं..
नाराज़ है, यार बात कर ना तेरी फ़िक्र सताती है
ले मै हँस देती हूं, मेरी हँसी तेरा गुस्सा भगाती है..!
जब तेरे साथ थी ना, तो सिर्फ तेरा आभास था
और जब दूर हुई, तो तू खुद मेरा एहसास था
यार, हर रिश्ते में होती है थोड़ी बड़ी,पर छोटी अन-बन
बात बड़ी थी, पर इतनी भी नहीं क़ि भर गया तेरा मन
मेरी बेरुख़ी से, तेरे अंदर का बच्चा मर गया
मंजिल की कुछ दूरी से, जैसे एक राही डर गया
तू वो नहीं अब, जो हर समय मेरा दर्पण था
जो मेरे अक्स के लिए, सदैव अर्पण था
तू वो नहीं अब, जिसे मेरा इंतज़ार था 
जिसे सिर्फ और सिर्फ मुझी से प्यार था
तूने शिकायत के लिए, कलम का सहारा लिया
गीत, कहानी को ऐसे थामा क़ि, मुझसे किनारा किया
मैं दिल-दिमाग के बीच में उत्पन्न सरगोशी हूं
इस कड़वाहट की तुझसे ज्यादा मैं दोषी हूं
लज्जित हूं खुद पर, समझा तुझे वीणा का उपेक्षित स्वर
मेरी एक भूल ने बना दिया, मधुरिम गायन से सूखे अधर
मजबूर थी, तू ही बता, क्या इस जग का उपहास ले लूँ..?
या सब कुछ भूल कर, तुझे अपने पास ले लूँ..!
उपहास की भटकन से ओझल, तेरा पास आना मेरा प्यार है
लेकिन अम्मा बाबा है ना, उनका मुझ पर पहला अधिकार है एक रात तेरी तस्वीर ली, सोचा कुछ तेरी यादें मिलेगी
होंगी कुछ ऐसी बातें, सालों से पड़े कुछ जख़्म सिलेगी
हाय, कैसा है, मस्त है ना..??, पूछेगी मुझे..!
बाय, फिर मिलेंगे, हँसते-हँसते, याद है ना तुझे..??
खाना खाया, दवा ली, और बता तेरी तबियत कैसी है..
खाता-पीता कुछ है नहीं, सेहत वैसी की वैसी हैं..
नाराज़ है, यार बात कर ना तेरी फ़िक्र सताती है
ले मै हँस देती हूं, मेरी हँसी तेरा गुस्सा भगाती है..!
ashishjain4448

Ashish Jain

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