क्या सिकवा, क्या गिला, क्या नाराज़गी थी हमसे ? दो पल की इस ज़िन्दगी में, ना प्यार मिला था तुमसे I कुछ लम्हें जो खुशनुमा थे, उसे याद करते रह गये अभी तो जीना शुरू किये, आप क्यूँ अलविदा कह गए ? बद-नसिबी इसे कहे, या किस्मत की लाचारी, रूह तो आपके साथ गये, जिस्म रह गया साथ हमारी। जो भी हमने सपने देखे, लहरों में सब बह गये अभी तो जीना शुरू किये, आप क्यों अलविदा कह गये ? ©NAND क्या सिकवा, क्या गिला, क्या नाराज़गी थी हमसे ? दो पल की इस ज़िन्दगी में, ना प्यार मिला था तुमसे I कुछ लम्हें जो खुशनुमा थे, उसे याद करते रह गये अभी तो जीना शुरू किये, आप क्यूँ अलविदा कह गए ? बद-नसिबी इसे कहे, या किस्मत की लाचारी, रूह तो आपके साथ गये, जिस्म रह गया साथ हमारी।