सृष्टि का विनाश सृष्टि के विनाश की घड़ी आ चुकी थी। सृष्टि की शुरुआत से ही प्रलय की चेतावनियाँ देवलोक में रोजाना प्रसारित होती थीं लेकिन देवलोक में कभी किसी ने उन चेतावनियों को गंभीरता से नहीं लिया था। गंभीरता से लेते भी तो कैसे लेते? परमपिता जब भी अपच से परेशान होते किसी ना किसी देव को भष्म करने की धमकी दे डालते, लेकिन उनकी खट्टी डकार से कभी किसी की दाढ़ी तक ना जली। ऐसे में देवलोक वासियों ने प्रलय की हर भविष्यवाणी को परमपिता की नींद में की हुई बड़बड़ से ज्यादा कुछ नहीं माना था। लेकिन अब देवलोक का हर एक प्राणी इस डर से कांप रहा था। ये बात बहुत पुरानी है। मीटू से भी काफी पहले की। यानी इंटरनेट और सोशल मीडिया के जमाने से कहीं पहले की। बड़े बुजुर्गों ने तो उसी जमाने में ही साफ साफ चेता दिया था लेकिन सबने ही उन्हें अनसुना कर दिया। सिविल राइट्स के शोर में, युवा उम्र के जोश में भला कौन बुजुर्गों की बातों की अहमियत समझता है? इक्वल वोटिंग राइट्स तक तो सब ठीक था लेकिन जब देवी पार्वती ने स्कूलों के बहाने देवलोक के सभी चौपालों को खाली कराने का आदेश जारी किया, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। लेकिन आदेश ऊपर से आया था, कोई कुछ कह नहीं सका। स्कूल खुला और सभी को चुपचाप अपने बच्चों को वहाँ भेजना पड़ा। मरता क्या ना करता, जब मृत्युलोक तक में शिक्षा के अधिकार का बोलबाला था तो देवलोक कैसे पीछे रहता। ऐसा नहीं था कि बुजुर्ग देवगण शिक्षा के महत्त्व को पहचानते नहीं थे। इसी शिक्षा के बदौलत ही देवियाँ गृहकार्य में पहले से भी ज्यादा निपुण हो पाई थीं। जब बच्चों के साथ साथ वयस्कों की शिक्षा को भी अनिवार्य कर दिया गया तो उन्होंने उसे सहर्ष स्वीकार किया। शिक्षा के प्रचार प्रसार के कारण अब वे पृथ्वीलोक से आने वाली हर पुकार को बिना किसी भाषाई अवरोध के समझ सकते थे। विश्व हिंदू परिषद ने तो चीन तक में अपनी शाखाएं खोल रखी थीं। क्या मंडारिन, क्या फ्रेंच.. पृथ्वीलोक में आरतियाँ अब कई भाषाओं में गायी जाने लगीं थीं। यहाँ तक तो सब ठीक था। देवियों की शिक्षा तक भी सब ठीक था। लेकिन फिर उन्होंने देवलोक की परंपराओं और कार्यप्रणालियों पर सवाल उठाना शुरू कर दिया। शुरू में पूजा पद्धति पर सवाल खड़े हुए। अपने लिए अर्पित भजनों पर सवाल करने लगे। यहाँ तक कि एक नहीं, दो नहीं, सभी भाषाओं में उनकी आलोचनाएँ करने लगे। हर गीत, हर भजन और हर श्लोक पर बहस करने लगे। कुछ को भजनों की भाषा सेक्सिस्ट लगती, "यू नो ग्रांटिंग विशेज फ़ॉर स्पेसिफिक जेंडर्ड चाइल्ड इज डिस्क्रिमिनट्री?"