एक अकेली छतरी में जब आधे-आधे भीग रहे थे। आधा गीला, आधा सूखा तो मैं ले आई थी। गीला मन मेरा बिस्तर के पास पड़ा हैं। वो भिजवा दो..मेरा वो समान लौटा दो.... मन