"समाज की गंदगी" सच कहती हूँ दोस्तों, गर क़लम से लिख जाए तो इतिहास बदल जाएगा, नारी की शक्ति जो जगे तो हिंदुस्तान झुक जाएगा। एक नज़्म सुनाती हूँ अपनी ज़रा गौर से सुनिएगा, कितना सच है कितना झूठ ज़रा आप ही बताइएगा। इतिहास देख लिया तुमने अब भविष्य भी देख लो, इस कलयुग में राम जैसा एक राम तो ढूँढ़ दो। आँखों में हर कोई अब काला चश्मा पहन रहा, सच्चाई की आड़ में रावण सीता-हरण कर रहा। न जाने कौन स्वार्थी अब समाज के लिए जिएगा? सफ़ेद मुखौटा पहन क्या नंगा देश में यूँ ही घूमेगा? समाज की इस गंदगी को चार चाँद लगा रही, Technology भी घर बैठे अब Dirty Picture दिखा रही। व्यक्ति से लोग, लोगों से परिवार परिवार से है समाज, दिमाग में बोती बीज है जो वो है हमारे संस्कार। नारी की इज़्ज़त मानों खुले आम बिक रही, घर से College Journey भी अब Mount Everest लग रही। हर पल अपमान सहती क्यों रहे नारी? अपने स्वाभिमान के लिए क़दम ज़रूर बढ़ाए नारी। स्वाभिमान से बड़ा कोई गहना नहीं होता, और यह गहना किसी ने पहना नहीं होता। बड़ी गंदगी साफ़ हुई भारत में ये भी साफ़ हो जाएगी, बुरा न देखो, सुनो, न बोलो, स्वच्छ विचार, स्वस्थ दिमाग में Automatically ही आ जाएगी। किसी को समझना हो तो उसकी Shelf में लगी किताबें देख लीजिए, गर समझना उसकी आत्मा को हो तो उनमें लगी Underlines पढ़ लीजिए।। "Plz support India 🇮🇳 & help in cleaning or vanishing bad thoughts from every mind. Start with Yourself🙂" ©Nîkîtã Guptā #nikitaslifejourney #poetry #samaj_ki_gandgi #truthoflife #raise_your_voice #2023