चलते चलते बहुत आगे आ गए हैं अभी बस आधा पूरा हुआ सफर रोज काटों से भरी जिंदगी की सुबह है गुलाबों की आस में कटे रात और डगर हर दिन एक नया शख्स बनते हैं हर शाम वही पुरानी ही होती है हरपल ये गुजरे नए नए तानों में मदद की गुहार दब जाती बहानों में अकेले ही रहे है अकेले ही चले अकेले अकेले कट जाती पहर है संघर्ष भरी जिंदगी का रसूल यही है खुद से ना हारे तो जश्न का शहर है #संघर्ष #जीत #हार #अकेलेहैं #अकेलापन #रूप_की_गलियाँ #rs_rupendra05 #yqaestheticthoughts