हिदूत ए आफताब के निहाँ अब खुल गए, पतझड़ का आंचल अब सरसब्ज़ हो रहा, तृप्त अंतस हुआ देख इन आम ए कुदरत, यह जहां अब हमें ज़ियारत सा लग रहा, सर ब सर मिट्टी की महक से मन विस्मित हुआ, मानो प्रकृति में खो भंवर रसपान हो कर रहा, अब्बल दर्जे का कलाकार है ईश्वर में, करके सिंगार बारिश का देखो अब छेड़ रहा, रिमझिम बौछार से देखो पत्ते अनावृत हुए, मानो तह ए रुह से सफेद गुहर सजने रहा। *🌸Any writer can write anything about "चित्र देखो,कुछ सोचो" but remember the rule🌸* 👇RULES📜👇 *👉 The word given above must come atleast once in your write-up.* *👉Poem should be in maximum 20lines/200 words,*