कोहरे और अट्टहास करते तमाम नाउम्मीदी को लाँघ एक सुबह तुम यूँ चुम जाना शीश जैसे नदियाँ छू कर करती है चुम्बन साहिल पे पड़े शिलाओं से फिर करना प्रेम अपनी जुल्फों में ढक कर मुझे हाँ कुंठित चेतना जाग्रत हो कर जायेंगे विस्मित मगर तुम आना क्षितिज के उस पार प्रिय और बांहों में ले, कर जाना मुझ तुच्छ को अपने तेज से जगमग प्रेम प्रिय । वो सुबह होगी मेरे जीवन की प्रथम दिन प्रिय वहाँ से शुरू हो तुममें विलय हो जाऊंगा प्रिय #dedicatedtosomeone #yqbaba #yqdidi #restzone #kamil_kavi #komu