#OpenPoetry फल-फूल आदि उपज के नाम से ही पेड़ जाना जाता है, उसी तरह बच्चो के नाम से परिवार का अस्तित्व माना जाता है.. कुछ नहीं है वो उपज उस पेड़ के बिना, फिर भी चले जाते है वो चीरकर उसका सीना.. नई जगह, नयापन, दुनिया के वो दिखावटी रंग, है बस चंद लम्हों का ये तो एहमको का संग.. पोषण और वात्सल्य मिलता नहीं उन खूबसूरत दुकानों में, बिकता है हर वो फूल इस दुनिया में, खुदगर्ज़ी के मुकामो में.. है नहीं कुछ भी बेगरज उस पेड़ सा इस दुनिया में, नाज़ों से पला है हर फल-फूल उसकी छैया मे... अकेला ना तो वो पेड़ कल था, ना ही वो आज है, फर्क तो सिर्फ आते जाते मौसमो का अनसुना साज़ है... मगरूर ज़रूर है आज वो फल अपनी ही मेहफिलों मे, मगर खुश हैं यह पेड़ उनकी खुशियों की केवल आहटों मे... चाहे आज ना हो वो पेड़ अपनी उपज की मेहफिलों का हिस्सा, पर आशीर्वाद के रूप मे रेहता ज़रुर है ज़िंदा उनदोनों का किस्सा... #OpenPoetry #Ankahiसीbaatein #family #life #nojoto #nojotostories #writing #respect