इस दौर के फटे हुये, पैच वर्क किये हुये, रफू किये हुये किन्तु ब्राण्डेड कपडों से अगर हम सीखें तो हमें यह पता चलता है कि जिन्दगी मे कितनी भी टूटन क्यों न हो, कितनी भी विषम परिस्थितियां क्यों न हों, हम दुबारा से जिन्दगी क्यों न शुरू कर रहे हों यानी की जिन्दगी मे कितने रफू क्यों न हों, हम कई बार लोगों द्वारा रिजेक्ट क्यों न किये गये हों अगर हम इन सब चीजों को दरकिनार करें और अपनी उन कमियों को ही अपना हुनर बनायें । या उनको मांज कर उनमें कुछ सुधार कर सकें तो जिन्दगी मे कुछ तो बदलाव हो सकता है । जिन्दगी ब्रांडेड हो तो सकती है। अगर हम चाहें तो। - प्रशान्त सिंह # कारवां मेरी कविताओं का