कोष हिय का तोष पिय का रिक्त रक्तिम! दोष किसका है समय या तुम विधाता कौन है लिखता-मिटाता मन निरत क्यों छला जाता तन निरन्तर दाघ पाता सुप्त चिनगी की ये ढेरी फूँककर ज्वाला जलाता अग्नि के आरेख मन पे भाव कैसे श्रान्ति पाता अपनी ही नवानुकृति का लेख ऐसा लिखा जाता? #lostandfound#yqrain#yqlife#lines#yqhindi