"वंदे मातरम" इक हूक उठी है दिल में जलवा तो दिखाएगी , लहू में उबाल है रगें तो उकसाऐंगी । आंधी हो या तूफान अब नहीं रुकूंगा हों कितनी भी बंदिशें पर नहीं झुकुंगा । ऐ दुश्मन- ए- वतन बांध कर कफ़न , अहिंसा- हिंसा के शाब्दिक अर्थ कर मैं तपन, आ रहा हूं साथ ले तिरंगा । अब ना पालना तुम भ्रम, गूंजेगा तुम्हारी ही फिजाँओं में वंदे मातरम . . . वंदे मातरम . . .।