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"वंदे मातरम" इक हूक उठी है दिल में जलवा तो दिख

"वंदे मातरम" 

इक 
हूक उठी है दिल में 
जलवा तो दिखाएगी ,
लहू में उबाल है 
रगें तो उकसाऐंगी ।
आंधी हो या तूफान 
अब नहीं रुकूंगा 
हों कितनी भी बंदिशें 
पर नहीं झुकुंगा ।
ऐ
दुश्मन- ए- वतन 
बांध कर कफ़न ,
अहिंसा- हिंसा के 
शाब्दिक अर्थ 
कर मैं तपन, 
आ रहा हूं 
साथ ले तिरंगा ।
अब ना पालना
तुम  भ्रम,
गूंजेगा 
तुम्हारी ही 
फिजाँओं में 
वंदे मातरम . . .
वंदे मातरम . . .।
"वंदे मातरम" 

इक 
हूक उठी है दिल में 
जलवा तो दिखाएगी ,
लहू में उबाल है 
रगें तो उकसाऐंगी ।
आंधी हो या तूफान 
अब नहीं रुकूंगा 
हों कितनी भी बंदिशें 
पर नहीं झुकुंगा ।
ऐ
दुश्मन- ए- वतन 
बांध कर कफ़न ,
अहिंसा- हिंसा के 
शाब्दिक अर्थ 
कर मैं तपन, 
आ रहा हूं 
साथ ले तिरंगा ।
अब ना पालना
तुम  भ्रम,
गूंजेगा 
तुम्हारी ही 
फिजाँओं में 
वंदे मातरम . . .
वंदे मातरम . . .।