बचपन वाली मस्ती अब कहाँ... भाग - 2 वो कुछ दूर जाकर डूब जाने वाली कागज की कश्ती, और वो बारिश के पानी में पैरों का छपछपाना अब कहाँ, वो हर छोटी-बड़ी बात पर लड़ कर, थोड़ी ही देर में एक हो जाने वाली बाल टोली अब कहाँ, बचपन वाली मस्ती अब कहाँ, वो गुल्ली डंडा तो जैसे कहीं गुम सा हो गया है, और कपड़े वाली गेंद जिसे हम, एक दूसरे की पीठ पर मार कर खेलते थे न जाने है अब कहाँ, बचपन वाली मस्ती अब कहाँ.... जारी है........ #yqdidid #yqbaba #yqtales #forallwriters