#गांव #चंदशेर गांव प्यारा था एक मेरा भी, अब तो पहले सा वो रहा ही नहीं। खेत खलिहान सब सिमट से गए, और पोखर का कुछ पता ही नहीं। सादगी थी ज़ुबां की कीमत भी, अब कोई बात का खरा ही नहीं। कट गए पेड़ सब बगीचे भी, गांव अब तो हरा भरा ही नहीं। कितने पंछी भी गुनगुनाते थे, दिन हैं बीते उन्हें सुना ही नहीं। ©Shailesh Maurya #gaon #शैलशायरी #शायरी TAMANNA NAIN(taani)