शोर की इस भीड़ में खामोश तन्हाई सी तुम, जिंदगी गर धूप है तो, मदमस्त पुरवाई सी तुम। आज बारिश में भीगा तो तुम यूं जाहिर हुई कि, जाने कब से रह रही थी, मुझमें अंगड़ाई से तुम। चाहे महफ़िल में रहूं, या मैं चाहे अकेले में रहूं गूंजती रहती हो मुझमें,गीत-शहनाई -सी तुम। लाओ वो तुम तस्वीर जिसमें हम प्यार से बैठे है, मैं हूं कुछ यों सहमा हुआ और शरमाई-सी तुम। हो सके तो याद करो तुम वो हमारी बेताब रात, कैसे सिमटी थी, मेरी बांहों में घबराई-सी तुम। लब मचले थे,लबों पर सांसों ने शोर उठाया था, सारी रात लिपटी रही, यूं मुझसे रजाई -सी तुम। --Vimla Choudhary 17/7/2021 ©vks Siyag बस कुछ यूं ही लिखने का प्रयास! #NationalSimplicityDay #gazal #यादेंइश्क़की #Basyunhii #Mohhabat #nojotohindi #VimlaChoudhary