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"बेटी हूं मुझे जमीन पर आने दो"शान हूं मैं दो घरो

"बेटी हूं मुझे  जमीन पर आने दो"शान हूं मैं दो  घरों की फिर भी क्यों मजबूर हूं, सब के दंशों  हुई मैं आज चकनाचूर हूं ।है यथार्थ सपना नहीं है ,जानता संसार है ।दो भाति करता जगत यह है, इसमें  इसकी शान है ।पैदा होने से ही पहले मार क्यों देते मुझे, छोड़ो सब को  सीख देना ताने क्यों देते मुझे, बेटों से ही स्वर्ग होता, ऐसा क्यों तो मानते हो। मेरे सपने भी जगत में उनको क्यों ठुकराते हो, जान बेटों से ही कमतर आंकते के किस भाति  हो।मेरे हक कुछ भी नहीं संसार में क्यों मानते हो। कोख ना कोई भेद करती ,भेद है इस सोच से, सोच में ही है कमी जो भेद करना सोचते हो। आऊंगी जब जमीन पर तब सब चमन हो जाएगा, देश दुनिया में नाम तेरा, जन्म देना सफल हो जाएगा। देखो सुनीता ,कल्पना ,जो कल्पना से भी परे हैं ।मीरा, लक्ष्मी ,हाडा रानी ,सिंधु,  सिंध के पार हैं। मारना जब छोड़ दोगे सपने तब साकार होंगे, मेरे जीवन के पन्नों में इतिहास तब परिपूर्ण होंगे। आइए अब मान बेटी का करें सब भांति से, दे सभी सम्मान नारी जाति को अभिमान से
"बेटी हूं मुझे  जमीन पर आने दो"शान हूं मैं दो  घरों की फिर भी क्यों मजबूर हूं, सब के दंशों  हुई मैं आज चकनाचूर हूं ।है यथार्थ सपना नहीं है ,जानता संसार है ।दो भाति करता जगत यह है, इसमें  इसकी शान है ।पैदा होने से ही पहले मार क्यों देते मुझे, छोड़ो सब को  सीख देना ताने क्यों देते मुझे, बेटों से ही स्वर्ग होता, ऐसा क्यों तो मानते हो। मेरे सपने भी जगत में उनको क्यों ठुकराते हो, जान बेटों से ही कमतर आंकते के किस भाति  हो।मेरे हक कुछ भी नहीं संसार में क्यों मानते हो। कोख ना कोई भेद करती ,भेद है इस सोच से, सोच में ही है कमी जो भेद करना सोचते हो। आऊंगी जब जमीन पर तब सब चमन हो जाएगा, देश दुनिया में नाम तेरा, जन्म देना सफल हो जाएगा। देखो सुनीता ,कल्पना ,जो कल्पना से भी परे हैं ।मीरा, लक्ष्मी ,हाडा रानी ,सिंधु,  सिंध के पार हैं। मारना जब छोड़ दोगे सपने तब साकार होंगे, मेरे जीवन के पन्नों में इतिहास तब परिपूर्ण होंगे। आइए अब मान बेटी का करें सब भांति से, दे सभी सम्मान नारी जाति को अभिमान से