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दिल दहला नहीं आशिक़ का पैतीस टुकडों में तुमको फेंका

दिल दहला नहीं आशिक़ का
पैतीस टुकडों में तुमको फेंका
बेइंतहा मोहब्बत का नतीजा हैं
दरिंदगी में बदलना मुनासिब था
मोहब्बत सिर्फ़ जिस्म की हवस हैं
बुझ जाने पर कौन यहाँ हैं टिकता
मग़र दो साल से तुम अंजान रही
ख़ामोशी से सहती गई हर एक पीड़ा
अब ख़ुदा से क्या शिकायत करोगी
तेरे बनाएं मोहब्बत ने हमको मार डाला। #श्रद्धा_मर्डर_केस